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Friday, 2 July 2021

KNOWLEDGE OF INDIAN DANCE WITH STATES || भारत के विभिन्न राज्यों के नृत्यों का ज्ञान ||

 Know The Famous Dance Forms Of India :-

भारत के मुख्य नृत्य और उनकी विशेषताएँ 

भारत का नाम आते ही हमारे मन में उसके बारे में एक ही बात याद आती है विविधताओं का देश जहाँ की हर बात निराली है खान-पान ,रहन-सहन एवं त्योहार साथ ही त्योहारों पर किये जाने वाले नृत्यों की तो बात ही अनोखी है जो पूरे भारतीय संस्कृति को और भी रोचक बना देती है | आज हम इस पोस्ट के माध्यम से उन्ही खास त्योहारों की विषेशताओं के बारे में जानेंगे | 





*भरतनाट्यम (TAMILNADU )साउथ इंडिया :- यह भारत का बहुत ही प्राचीन ,एकल ,शास्त्रीय नृत्य कला है जिसकी उत्तपति तमिलनाडु के मंदिरो के नर्तकी और देवदासियों के द्वारा हुआ है | भरतनाट्यम के शब्दो को देखा जाये तो भा -भाव ,र -राग ,त -ताल और नाट्यम -नृत्य ,मतलब की यह पूरा नृत्य भावना ,संगीत और ताल की प्रधानता का नृत्य है जिसमे खास रूप से महिलाएं परम्परागत वस्त्र और श्रृंगार धारण कर नृत्य करती हैं | 












*
कथकली (KERALA ) साउथ इंडिया :- यह केरल का बहुत ही प्रसिद्ध और कठिन शास्त्रीय नृत्य है जिसमे हिन्दू धर्म ग्रंथो और पुराणों में नियुक्त कथाओं का नृत्य के माध्यम अभिनय किया जाता है|इस नृत्य में एक अलग तरह का बहुत ही भारी पोशाक धारण किया जाता है जैसे सफेद रंग का स्कर्ट होता जिसे 2-3 लोग मिलकर पहनाते हैं और चेहरे को हरे रंग से पेंट किया जाता है | नृत्य करने वाले न कुछ गाते और न ही कुछ बोलते हैं,वे बिना कुछ बोले केवल अपने नृत्य, अपने चेहरे और आँखों के हाव-भाव से ही पूरी कथा का चित्रण बता देते हैं | 







  


* मोहिनियाट्टम 
(KERALA ) साउथ इंडिया :- यह केरल का एक बहुत ही प्राचीन शास्त्रीय नृत्य है ,जिसके रचयीता विद्वान भरत मुनि जी थे|से भगवान विष्णु से जुड़ी एक पौराणिक कथा है माना जाता है की भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर भस्मासूर का विनाश किया था | यह नृत्य मुख्यतः मंदिरों में किया जाता था | 



कुचीपुड़ी (ANDHRA PRADESH ) साउथ इंडिया :- यह आँध्रप्रदेश की बहुत ही प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य शैली है जिसका नाम वहाँ के एक गाँव कुचिपुड़ी के नाम पड़ा क्यूंकि उस गाँव के ब्राह्मण समुदाय इस नृत्य का अभ्यास  करते थे |यह नृत्य देवताओं को समर्पित है ,जिसमे खासकर पुरुष  महिलाओं का रूप लेकर नृत्य करते हैं |   




*दुमहल (JAMMU AND KASHMIR ) नॉर्थ इंडिया :-
दुमहल जम्मू -कश्मीर के कुछ खास जनजाति रऊफ द्वारा उनके किसी खास मौके पर 
वट्टल पुरुषों द्वारा किया जाने वाला एक सामूहिक लोक नृत्य है | जिसमे रंगीन पोशाक और कोन के आकर की शंख जड़ी टोपी पहन नृत्य करते हैं साथ में कोरस भी गाते हैं | 





* मयूर नृत्य (UTTAR PRADESH ) 
नॉर्थ इंडिया:- नृत्य का आरम्भ कृष्ण भूमि मथुरा के बरसाने से हुआ है जिससे राधा और कृष्ण की प्रेम कथा जुडी हुई है |माना जाता है की राधा जब भगवान कृष्ण से रूठ  ब्रह्माण्ड चल पर्वत पर चली गई तब कृष्ण ने उन्हें मनाने के लिए मयूर नृत्य किया था और उन्हें मना लिया था | तभी से मथुरा में हर वर्ष इस नृत्य का आयोजन कृष्ण रास लीलाओं के समय बड़े ही धूम-धाम से किया जाता है जो पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | 



*थक (UTTAR PRADESH ) नॉर्थ इंडिया:- कथक उतर भारत का बहुत ही प्राचीन शास्त्रीय नृत्य कला है जिसमे नृत्य करते हुए कथाओं को बताया जाता है जो ज्यादातर राधा-कृष्ण से जुडी होती है इसमें बहुत ही हल्के वस्त्र और गहने पहने जाते हैं |पैरों पर विशेष ध्यान दिया जाता है मुख्य रूप से तबला और सारंग जैसे वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है | इस नृत्य से मुख्य रूप से तीन राज घरानों का इतिहास जुड़ा है जयपुर के कछवा राजपूतों ,लखनऊ के अवध नवाब और वाराणसी का घराना |  
 



* धम्याल (HARYANA ):-
यह हरीयाणा राज्य के झज्जर और महेंद्रगढ़ का बहुत ही प्रसिद्ध नृत्य है जिसमे पुरुषों की भी सहभागिता होती है | यह नृत्य महाभारत समय से ही चली आ रही है जो रात के समय खुले मैदान में किया जाता है | 
इस नृत्य में मुख्य रूप से त्रिमूर्ति भगवान के स्तुति की जाती है | 




*भंगड़ा (PUNJAB ):- पंजाब का बहुत ही ऊर्जावान ,उत्साह और जोश से भरा नृत्य है जिसमे पुरुषों का योगदान होता है जबकि महिलाय गिद्दा करती है | यह वैशाखी के समय फसलों की अच्छी उपज की और सिख नए साल की ख़ुशी में करते हैं | इसमें मुख्य रूप से ढ़ोल,एकतारा,चिंता और तुम्बी जैसे एकल वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है | 




*छऊ नृत्य(ODISHA,JHARKHAND,WEST BANGAL ):- छऊ पूर्वी भारत का एक बहुत ही प्रसिद्ध नृत्य है | जो उड़ीसा ,झारखंड और पच्छिम बंगाल के कुछ हिस्सों में आदिवासी जनजातियों द्वारा किया जाता है | इस नृत्य का आयोजन चैत माह में किया जाता है जिसमे माँ काली द्वारा राक्षसों का वध ,महाभारत व रामायण की कुछ खास घटनाओं को नृत्य के माध्यम से दिखाया जाता है जिसमे मुख्यतः ढोल,खर्का आदि जैसे वाद्य यंत्रों को  बजाया जाता है | 



*झूमर ,संथाली (JHARKHAND ,CHHATISHGARH):- संथाल, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के संथाल जनजातियों द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्य है जिसमे महिलाएं रंगीन पोशाक पहनकर 
किसी खास मौके पर एक समूह में नृत्य करती हैं |यह उनके एकता का भी प्रतिक है| झूमर फसलों और त्योहारों के समय किया जाने वाला एक समूहिक नृत्य है |  

 


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बिदेशिया नृत्य नाटक (BIHAR ,CHHATISGARH ):- बिदेशिया नृत्य एक प्रकार का नाटक है जिसके रचयिता भिखारी ठाकुर जी हैं|  यह नृत्य भोजपुरी क्षेत्र में ज्यादा प्रचलित है इस नाटक में रंगमंच पर पुरुषों द्वारा और महिलाओं का भी वेष पुरुष द्वारा ही धारण कर समाज में फैले बुराईया जैसे दहेज प्रथा,बाल विवाह,आमिर-गरीब में भेद-भाव आदि को बहुत ही सानदार ढंग से दिखाया जाता है |  


 
* झिझिया ,कजरी (BIHAR ,UTTER PRADESH ):- झिझियां मिथिलांचल (बिहार)का बहुत ही प्रशिद्ध लोक नृत्य है जिसमे लड़किया दुर्गा पूजा के अवसर पर अपने सर पर एक जलते दिये के साथ घड़ा लेकर एक समूह में तालियों के साथ नृत्य करती हैं| जबकि कजरी नृत्य बारिश देवता इंद्र को समर्पित है | यह सावन के महीने महिलाओं द्वारा में गाया और किया जाता है|  
 



गरबा ,डांडिया रास (GUJRAT):- गरबा,डांडिया रास का आयोजन नवरात्री में पुरे 9 दिन तक किया जाता है जो पुरे भारत में प्रचलित है ,लेकिन गुजरात का यह खास लोक नृत्य हैं जिसमे सभी वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं और माँ दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयाश करते हैं| नवरात्री के पहले दिन मिट्टी के छिद्र युक्त घड़े जिसे गरबो कहा जाता है 
में जलता हुआ एक दीप रखा जाता है और माँ को आवाह्न कर उसी के चारों ओर नृत्य किया जाता है |  




*नाटी (HIMACHAL PRADESH ):-यह हिमाचल प्रदेश का लोक नृत्य है जिसमे वहाँ की पहाड़ और घाटियों का स्वरूप दिखता है | यह एक सामूहिक नृत्य है जिसमे महिलाएं और पुरुष दोनों साथ में अपने परम्परागत पोशाक पहन नृत्य करते हैं साथ ही संगीतकारों का भी एक समूह होता है जो बांसुरी,ढोल,नगाड़ा,करनाल नरसिंघा आदि जैसे वाद्य यंत्रों द्वारा नृत्य में संगीत देते हैं | 







* मटकी नृत्य (MADHYA PRADESH ):- मटकी मध्य प्रदेश मालवा क्षेत्र का लोक नृत्य है जिसमे महिलायें पारम्परिक वेश और कभी कभी घूंघट ओढ़े अपने सर पर एक या एक से ज्यादा मटका लिए शरीर का संतुलन बना कर तबले की ताल पर समूह में या अकेले नृत्य करती हैं |  





*लावणी (MAHARASHTRA ):- लावणी महाराष्ट्र की लोकप्रिय और प्रसिद्ध लोक नृत्य है | इसमें महिलाएं 9 मीटर लंबी साडी पहन,पैरों में घुंघरू और पुरे श्रृंगार कर ढ़ोलक की ताल पर नृत्य करती हैं | इस नृत्य में वीरता ,प्रेम,भक्ति आदि भावनाओं को संगीत,नृत्य,और नाट्य के साथ समायोजन कर दिखाया जाता है | इसकी लोकप्रियता के कारण इसे फिल्मों में भी स्थान दिया गया है | 





*घूमर (RAJASTHAN ):- यह नृत्य राजस्थान के सभी क्षेत्रों में प्रसिद्ध नृत्य है जिसमे महिलाएं एक विशेष प्रकार की घेरे वाली घाँघरा पहन किसी बड़े त्योहारों और शादी के अवसरों पर करती हैं | इसमें अधिक से अधिक महिलाएं एक साथ एक घेरे में नृत्य करती हैं |
 






*मणिपुरी (MANIPUR ):- यह मणिपुर का प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है | इसमें राधा और कृष्ण के प्रेम प्रषंगों को नृत्य के माध्यम से दिखाया जाता है |यह बहुत ही धीमी गति का नृत्य है जिसमे नर्तकों के हाथ से पैर तक की भुजाएँ बहुत ही अच्छे तरिके से धीरे धीरे चलते हैं |    








*
सत्रिया (ASSAM ):- यह असम का एक प्रसिद्ध 
शास्त्रीय नृत्य है जिसे वहां की सभी महिलाएं और बच्चे शुरू से ही सीखते हैंइसमें पौराणिक कथाओं को नाटक और नृत्य के माध्यम से दिखाया जाता है | 


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